सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
        *"जीवन-साथी"*
"अग्नि-पथ यही जीवन सारा,
क्यों-साथी जीवन से हारा?
हर हार में साथी फिर यहाँ,
ढूँढ़ ले जीत का सहारा।।
ठहरे न कदम जीवन-पथ पर,
जब तक साथी साथ तुम्हारा।
रोक ही लेते कदम साथी,
मिलता न तुम्हारा सहारा।।
बसती न नफरत मन में यहाँ,
भटकता न कदम फिर तुम्हारा।
साथ निभाते जीवन साथी,
जीवन ही होता तुम्हारा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः          16-02-2020


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