सुनील कुमार गुप्ता कविता:-    *"ऐसा कर्म करे साथी"*

सुनील कुमार गुप्ता


कविता:-
   *"ऐसा कर्म करे साथी"*
"ऐसा कर्म करे साथी ,
मिट जाये जीवन से-
मन बसा अज्ञान।
पग-पग जीवन में अपने ,
करे साथी-
अपनों का सम्मान।
सद्कर्मो संग ही सींचे,
साथी जीवन बगिया-
होता सत्य का ज्ञान।
सत्य पथ चल कर ही, 
जीवन में साथी-
मिटता अज्ञान।
दीप से दीप जला स्नेंह का,
जीवन में साथी-
मिलता अपनों से सम्मान।
ऐसा कर्म करे साथी,
मिट जाये जीवन से-
मन बसा अज्ञान।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः        सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         01-02-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...