सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
   *"साधना-अराधना-उपासना"*
"पाने को आत्मिक सुख,
करनी होगी प्रभु की-
साधना-अराधना-उपासना।
साधना-अराधना संग ही,
पूर्ण होती पल पल-
जीवन की कामना।
जीवन के क्षणिक सुखो में,
कैसे-भूला साथी-
प्रभु की उपासना।
भूल कर प्रभु को जीवन में,
होता पग पग-
दु:खो से सामना।
विश्वास की धरती पर ही तो,
मिलेगा साथी-
जीवन में परमात्मा।
अविश्वास की धरती पर,
भटकेगी पल पल-
ये आत्मा।
पाने को आत्मिक सुख,
करनी होगी प्रभु की-
साधना-अराधना-उपासना।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः         08-02-2020


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