कविता:-
*"साधना-अराधना-उपासना"*
"पाने को आत्मिक सुख,
करनी होगी प्रभु की-
साधना-अराधना-उपासना।
साधना-अराधना संग ही,
पूर्ण होती पल पल-
जीवन की कामना।
जीवन के क्षणिक सुखो में,
कैसे-भूला साथी-
प्रभु की उपासना।
भूल कर प्रभु को जीवन में,
होता पग पग-
दु:खो से सामना।
विश्वास की धरती पर ही तो,
मिलेगा साथी-
जीवन में परमात्मा।
अविश्वास की धरती पर,
भटकेगी पल पल-
ये आत्मा।
पाने को आत्मिक सुख,
करनी होगी प्रभु की-
साधना-अराधना-उपासना।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 08-02-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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