कविता:-
*"नव-युग का निर्माण करो"*
"इस धरा को स्वर्ग बनाने,
नवयुग का निर्माण करो।भक्ति में डूबा रहे तन-मन,
इस धरती पर राम बनो।।
मानव मन में विश्वास भरे,
मानव का कल्याण करो।
सुख दु:ख में सहभागी बनकर,
नवयुग का निर्माण करो।।
त्याग काम,क्रोध,मद् ,लोभ,
सत्य का आवाह्न करो।
सत्य-पथ चल कर साथी,
नवयुग का निर्माण करो।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 12-02-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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