सुनील कुमार गुप्ता- सहारनपुर

कविता:-
       *"रीति -रिवाज"*
"रीति-रिवाज की बेड़ियों में,
साथी बंध कर -
रह गये हम।
परिवर्तन की दिशा में ,
साथी अब तो-
रूकेगे न कदम।
अच्छे रीति-रिवाजो को,
साथी लेकर चलेगे-
और निभायेगे हम।
रीति रिवाजो में ही छिपी,
गरिमा संबंधों की-
उन्हे बनाये रखेगे हम।
रह रीति रिवाज के पीछे ,
साथी छिपा सत्य-
जीवन में पहचानेगे हम।
रीति रिवाज की बेड़ियों में,
साथी बंध कर -
अब न रहेगे हम।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः         07-02-2020


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