मेरी बीटिया
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तितली जैसी चंचल है
जुगनू जैसी उजियारी
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
सारे घर पे नजर है उसकी
धयान में रखती हरकत सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यार प्यारी।
ऑफिस से जब घर में आँऊ
करती शिकायत सबकी भारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
उसका खिलता चेहरा देखकर
छू हो जाती थकान सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
खिलखिला कर हँसती मुझे बुलाती
उसकी हंसी के आगे फीकी खुशियां सारी।
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे घर की है वो रौनक
उससे खुशहाल गृहस्थी हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
जब वो रूठे ऐसा लगता
रुठ गई है दुनिया सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे लिए वो खुदा की नेमत
वो ही कायनात हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।।
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🌷सुनीला🌷
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीला गुरुग्राम हरियाणा
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