सुनीता असीम

तेरी निगाह दिल में मेरे यूँ उतर गई।
धरती पे चाँदनी लगा आकर बिखर गई।
***
कैसे पहाड़ सी ये गुजारी है ज़िन्दगी।
छाया हमारी आज हमें छोड़ कर गई।
***
कुछ भी नहीं है ठीक दिले बेकरार का।
बिखरा लगे सभी ये नज़र तो जिधर गई।
***
तुझसे लगाव होने लगे देख लूं तुझे।
यूँ इक नज़र भी तेरी बड़ा काम कर गई।
***
जो वज्न था हिला तो हिला काफिया तभी।
अरकान भी हिले व ग़ज़ल की बहर गई।
***
सुनीता असीम
18/2/2020


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