सुनीता असीम

दिल में तुमने रखा था राज मेरा।
और पूरा उठाया ....‌..नाज मेरा।
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रात दिन चैन भी नहीं..... आए।
क्या कहीं भी नहीं इलाज मेरा।
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काम में सब लगे रहे .....अपने।
किसने पूछा कभी मिजाज मेरा।
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एक पक्षी जो सामने आया।
डगमगाने लगा जहाज मेरा।
***
चार उनसे हुईं निगाहें जो।
धड़कनों का बजेगा साज मेरा।
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जब कभी एक हो गए हम तो।
क्या बिगाड़ेगा ये समाज मेरा।
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सुनीता असीम
५/२/२०२०


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