सुनीता असीम

फेसबुक की महिमा न्यारी।
प्यार मुहब्बत सबपे तारी।
***
अपनी देखें मुंह बनाए।
गैर की बीबी लगती प्यारी।
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घर गिरस्थी बोझ लगे अब।
सूख रही घर की फुलवारी।
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बढ़ती उम्र में खेल रचाया।
बुड्ढों की बुड्ढी से .. यारी।
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इधर से पकड़ा बीबी ने जब।
उधर से भी पड़ती है गारी।
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परनारी का शौहर पकड़े।
मैसेंजर पे बात हो सारी।
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दूजी दिल जितना बहला दे।
अन्त में अपनी लगती प्यारी।
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इस यारी ने घर हैं तोड़े।
गलती है यारो ये भारी।
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ये समस्या खूब बढ़ी है।
इक फतवा इस पर हो जारी।
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सुनीता असीम
१७/२/२०२०


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