सुनीता असीम

बेसबब ज़िन्दगी.. गुजारी है।
बस तुम्हारी तलाश जारी है।
***
है नशे में सभी जमाना .अब।
किस तरह की रही ख़ुमारी है।
***
क्यूँ उदासी भरे हुए .तुम हो।
जान मेरी रही .....तुम्हारी है।
***
होश कुछ हैं उड़े हुए ......मेरे।
मस्त आँखों की प्यास तारी है।
***
चढ़ गई जब दिमाग पर जमकर।
फिर हुआ इक गिलास भारी है।
***
सुनीता असीम
११/२/२०२०


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