सुनीता असीम

जब  छोड़के तू देह को शमशान जायगा।
तब साथ तेरे बस तेरा ईमान जायगा।
***
जब जान जा रही होगी तेरे शरीर से।
हर साथ में तेरे तेरा अरमान जायगा।
***
अपना है कौन कौन पराया यहाँ रहे।
ये अंतकाल में तू भी पहचान जायगा।
***
अच्छे करेगा कर्म जो संसार में यहाँ।
लेने उसे तो घर से  भी भगवान जायगा।
***
जो धर्म औ दया का यहाँ मोल जानता।
उसको जहाँ ये नाम से पहचान जायगा।
***
 सुनीता असीम
७/२/२०२०


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...