सुनीता असीम
हमने किया जो प्यार तो अखबार हो गए।
उसने जो फेरीं नज़्र तो बीमार हो गए।
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हम क्या कहें जमाल अदाओं का हुस्न की।
अपने तो डूबने के से आसार हो गए।
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सोचा था ज़िन्दगी को अकेले बिताएं हम।
पर इश्क में किसी के गिरफ्तार हो गए।
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पाने को इक झलक भी बिताईं थी मुद्दतें।
दीदार ओ किया तो दिले यार हो गए।
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हमको लगे खुदा से हमेशा ही आप तो।
पर झूठ के ही आप तो संसार हो गए।
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सुनीता असीम
१/२/२०२०
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