बुराई की अकेले ही खिलाफत क्यूँ नहीं करते।
अगर शिकवा किसी से हो शिकायत क्यूँ नहीं करते।
***
नहीं जालिम अगर राजा तो उसका साथ भी देना।
बगावत की आवाजों पे मलामत क्यूं नहीं करते।
***
सभी का है वतन अपना चमन इसको बना देंगे।
मुहब्बत है वतन से तो मुहब्बत क्यूँ नहीं करते।
***
नहीं है फायदा कोई यूँ आपस में झगड़ने का।
अगर सम्मान है इसका जियारत क्यूँ नहीं करते।
***
सही क्या है गलत क्या है डगर सच की बताकर यूँ।
सभी माँ-बाप बच्चों को हिदायत क्यूँ नहीं करते।
***
सुनीता असीम
२०/२/२०२०
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीता असीम
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