सुनीता असीम

मुक्तक
बुधवार
१२/२/२०२०



हो गई हमको अदावत इक्तिजा की बात से।
और बढ़ती नफरतें हैं आदमी की जात से।
बढ़ रहीं इसकी जरूरत और पैसों की कमी-
ये नहीं चिन्ता में सोया आज कितनी रात से।
***
सुनीता असीम


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