स्वार्थ ही स्वार्थ.....
देखो इस संसार में,
स्वार्थ का सब खेल.
स्वार्थ बिना करता नहीं,
कोई जग में मेल.
कोई जग मे मेल,
है सबका यही आधार.
हड़प पराए माल को,
फिर देवें धक्का मार.
स्वार्थ ही सिद्धि,
स्वार्थ से बन बैठा व्यापार.
स्वार्थ खा गया सम्बन्धों को,
स्वार्थ रिश्तों की मार.
एैसा कोई दिखता नहीं,
बिन करे स्वार्थ से बात.
मानव बावला हो चला,
देख दोगलों की करामात.
स्वार्थ ने बुद्धि हरी,
सुनो मन "उड़ता " मिताव ,
बिना स्वार्थ देता नही,
कोई भी दो पल छाँव.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
संपर्क -9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
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