सोचो दूर तक....
निकली है बात मुख से जाएगी दूर तक.
कुछ सच, कुछ भ्रान्ति फैलाएगी दूर तक.
हर कोई सुनाने को बेताब होगा,
दुनिया की सच्चाई नज़र आएगी दूर तक.
बात छोटी थी मगर मतलब अनेक निकले.
डर है न कहीं सियासत,
बन जाएगी दूर तक.
रिश्तों में क्यों अकसर दरार आती है,
कुछ कसक फिर भी सताएगी दूर तक.
क्या होता जो कुछ पल ख़ामोशी में बीतते.
अब होके अक्ल बे -आबरू समझाएगी दूर तक.
हालात किसी तरह सँभालने होंगे,
आवारगी लबों से कहलवायेगी दूर तक.
क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं होता,
एक उम्मीद की किरण दौड़ाएगी दूर तक.
गलतियां इंसान से हो जाती है,
तेरी याचना तेरी विजय फहराएगी दूर तक.
एैसा कुछ नहीं जिसका समाधान ना हो,
कुछ सोचो समझदारी की मिसाल बन जाएगी दूर तक.
कैसे भी ज़िन्दगी को मत रुकने दो "उड़ता ",
कभी तेरी नज़्में किसे पसंद आएगी दूर तक.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
संपर्क - 9466865227
झज्जर (हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
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