सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  संपर्क - 9466865227 झज्जर ( हरियाणा )

लौटने का सबब.... 


एक दिशा से मिलेगी 
जीवन की मंज़िल कहीं. 
चलते -चलते 
कितनी दूर निकल आए 
कहीं पहुँचने की उम्मीद लेकर 
आए तो राहें दिख रही थी 
लौटने का कोई रास्ता नहीं 
बीच बाग, सब्ज़ -पत्ते 
सब हुए खामोश 
जैसे उनसे कोई वास्ता नहीं 
पानी को ठहरा देखा 
कई बार पीछे मुड़कर देखा 
नदी से भी रास्ता बूझा 
मेरा सवाल उससे रहा 
उसने कहा
 "मैं किसी से भी नहीं बूझती
बस बहती जाती हूँ 
तुम भी बस बढ़ते चलो 
कुछ ढलान आएँगी 
कहीं फ़िसलन आएगी 
पहाड़ी रास्ते खुरदरे होंगे". 
और मुझे एक हौसला मिला 
उम्मीद से भरा सिला मिला 
और मैं चलता गया 
इस एक ज़िन्दगी में "उड़ता "
यही सबब अपना था. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com


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