सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  संपर्क - 9466865227 झज्जर ( हरियाणा

मुक्तक... 



हम रहे तो महफ़िल रही 
बातें सदा दिल मिल रही 
था सफ़र मुश्किल जरा
मगर मंज़िल मिलती रही. 


कुछ लोग मिले, कुछ छूट गए 
गैर हुए अपने, कुछ रूठ गए 
बुरे दौर भी आए ज़िन्दगी में 
कश्मकश में कुछ सपने टूट गए. 


बढ़ते जाना मज़बूरी था 
चलते जाना जरुरी था 
रवायतें ना बदलनी थी 
कर्म ही श्रद्धा - सबूरी था. 


अच्छे - बुरे एहसास थे 
कुछ लम्हे मेरे पास थे 
कुछ मेरी जीत से ख़ुश थे 
और कुछ लोग उदास थे. 


नींद का सिलसिला छूटा 
दर्द का सैलाब फूटा 
तुझे एक सलाम है "उड़ता "
कि तेरा हौसला कभी ना छूटा. 


द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )


udtasonu2003@gmail.com


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