रात बरसाती.... उड़ता
मौसम तो बदल गया है,
बरसाती रात घिर आएगी.
एक बौछार तन को छुएगी,
शीतल हवा खिड़की से घुस आएगी.
दिशाओं में सोंधी महक है,
चेहरों पर मुस्कान आ जाएगी.
टप -टप झम -झम नीर बरसेगा,
एक बदली सी घिर आएगी.
कभी खाट पर चू पड़ेगी,
कभी एक दूसरे से लडेंगी.
सर्र एक बंधती मालूम पड़ेगी,
इस अकेलेपन को दूर ले जाएगी.
पेड़ -तरु सब पुलकित होंगे,
बारिश पत्तों को हिला जाएगी.
संवेदना जो सोयी पड़ी थी,
बरसाती रात एहसास जगा जाएगी.
अच्छा है धरा सूखी नहीं,
कोई भ्रम होगा तो लौट जायेगा.
बच्चों की किलकारी का,
शौर कहीं सुना जायेगा.
कागज़ की नाव चलेगी,
माहौल हरा - भरा हो जायेगा.
बरसाती रात खुश कर देगी,
मन मगन हो गाएगा.
तुझे मौका मिल गया "उड़ता ",
तू बरसती रात पर नज़्म बनाएगा.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
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