तुम करो इश्क़िया......
ज़माने में दौर सा बहा इश्क़.
दबी ज़ुबाँ सभी ने कहा इश्क़.
देख उन्हें खुद से होने लगा इश्क़,
हाँ दिलरुबा से मिलने लगा इश्क़.
खुल कर जीना कहीं मुश्किल हुआ,
यादों में रहने लगा बस इश्क़.
ढूंढ़ने से नहीं मिल रहा था खुदा,
खुद में झाँका तो महसूस हुआ इश्क़.
हर एहसास अंदर दबा लिया हमने,
करी लाख कोशिश ना मिटा इश्क़.
सीख लिया जो बोलना कभी उनसे,
बस हमेशा कहेँगे मेरे लब इश्क़.
नफरतों की आँधी थमने लगेगी,
एक बार जो तुम करलो इश्क़.
जिसे चाहते हो और दिल दिया है,
कभी तो करोगे किसी पल इश्क़.
तेरी ज़िन्दगी तो दौड़ती रही "उड़ता ",
यूं ही जीने का ढंग बता देगा इश्क़.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
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