साथ अगर हो......
काश मेरी दुआ में असर हो.
तेरे संग में मेरा बसर हो.
हिचक नहीं दिल की आरज़ू में,
ना ही किसी ज़माने का डर हो.
रात और दिन बस तुमको देखूं,
तुझपर ही बस मेरी नज़र हो.
हम दोनों समझें एक दूजे को,
हमारी गुफ़्तगू में ना समर हो.
अच्छे से बीते अपनी ज़िन्दगी,
राब्ता अपना नहीं बजर हो.
जीत लूंगा हौसलों से "उड़ता"
कोई साथ जंग मेरे अगर हो.
द्वारा - सुरेन्द्र सैनी बुवानीवाल
संपर्क - 9466865227
झज्जर (हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
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