सुरेंद्र सैनी बुवानीवाल  संपर्क -9466865227 झज्जर (हरियाणा

शायद मन डरता है.... 


दिल पागल है, 
हर ख़्वाहिश पे दम भरता है. 
मिलते हैं दो फूल जब भी, 
भंवरा इसी बात से जलता है. 


तेरी गुफ़्तगू कशिश भरी है, 
क्यों तेरी ख़ामोशी से मन डरता है. 


तेरे जज़्बात खुली किताब से, 
ये रूह का परिंदा पँख फड़कता है. 


तुम ऊपर से सख़्त अंदर से नर्म, 
तेरा व्यक्तित्व बार -बार अकड़ता है. 


हर मौसम का अपना मज़ा है, 
हर अदा के संग नया रंग बदलता है. 


कितना लिख डाला तूने नज़्मों में "उड़ता ", 
किसके दिल पर लगे, क्या पता चलता है. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बुवानीवाल 
संपर्क -9466865227
झज्जर (हरियाणा )


udtasonu2003@gmail.com


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