आँखो में भर आया पानी
बेटी जीवन की यही कहानी
रो रोके हो गया बुरा हाल
बाबुल की बिटियाँ चली ससुराल
नन्ही से चिड़ियाँ चली ससुराल
कल तक तो खेली इस आँगन में
तितली बन मंडराई उपवन में
पीछे छुट गई है बगिया
मेरी सारी सहेली सखियाँ
टुकटुक मैं जिनको रही निहार ।
बाबुल की बिटिया चली ससुराल ।
नन्ही सी चिड़ियाँ चली ससुराल ।
छोटी छोटी बातों पे रुठना मनाना
बाबा तेरे संग में वो हँसना हँसाना
माँ की वो मीठी लोरी
संग में तेरे खेली होरी
यादों का उठा हैं भूचाल ।
बाबुल की बिटिया चली ससुराल ।
नन्ही सी चिड़ियाँ चली ससुराल ।
जिस आंचल में पली वो हो रहा पराया
छूट रहा सर से अपनो का साया
कैसी आई ये घडि़या
पल भर में बीती सदियां
दिल में घिरे कितने सवाल ।
बाबुल की बिटिया चली ससुराल ।
नन्ही सी चिड़ियाँ चली ससुराल ।
वादा है मै सबका मान बढाऊंगी
रिश्तो को सारे मन से निभाऊंगी।
तेरी ही सिखाई बाते
याद रखूंगी दिन राते
रखूंगी सबका दिल से ख्याल ।
बाबुल की बिटिया चली सुसुराल ।
नन्ही सी चिड़ियाँ चली ससुराल ।
वैष्णवी पारसे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें