वैष्णवी पारसे छिंदवाड़ा

दिल में उठे सवाल, खुबसूरत से ख्याल, आया एक पल ऐसा, हो गई दिवानी मैं। 


 उसमे ही खोई खोई , हरपल रहती हूं , मोह भरी दुनिया से ,हो गई बेगानी मैं।
 
दिल में वो बस गया, रंग में वो रंग गया, ऐसा एक नशा छाया, हो गई सयानी मैं।


चाहती हूं बस यही, साथ रहे हरदम, तू है मेरा बाजीराव, तेरी हूँ मस्तानी मैं।


वैष्णवी पारसे


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