विवेक दुबे"निश्चल" रायसेन

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वो अंजान सा बचपन ।
वो नादान सा बचपन ।


उम्र के कच्चे मकां में ,
वो मेहमान सा बचपन ।


 इस ज़िंदगी के सफ़र में ,
 एक पहचान सा बचपन ।


 खोजता ख़ुद को ख़यालों में ,
  रहा अहसान सा बचपन ।
 ...विवेक दुबे"निश्चल"@....


vivekdubeyji.blogspot.com
 4/2/20


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