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विवेक दुबे"निश्चल रायसेन
हो गये गुनाह फिर कुछ । सो गये बे-गुनाह फिर कुछ । चकाचौंध दिन उजियारो में , स्याह लिये पनाह फिर कुछ । ....विवेक दुबे"निश्चल"@...
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