विवेक दुबे "निश्चल

ॐ हृदय राखिए , ॐ करे शुभ काज ।
  ॐ श्रीगणेश हैं , ॐ शिव सरकार ।


 जो थे कल में, जो होंगे कल में।
 जो हैं पल में , जो प्रतिपल में ।
 जो थे तब भी , जो न था कुछ भी ।
 जो हैं तब भी, जो है सब कुछ भी ।


 सूक्ष्म शिव , अति विशाल शिव हैं ।
 काल शिव,    महाकाल   शिव हैं।
 प्रतिपाल शिव , प्रलयंकार शिव हैं ।
 आकर शिव , निराकार ही शिव हैं ।


 वो हर हलचल में ,सृष्टि के कण कण में।
 वो सदा शिव हैं, सत्य सनातन शिव हैं ।


हे रुद्रनाथ  ,  नागनाथ    ,  मंगलेश्वर।
हे उमापति , कैलाशपति , गौरीशंकर।
हे शिवाकांत , महादानी  ,  रामेश्वर ।
हे दीनानाथ , जटाधारी ,   जोगीश्वर।
 हे मणि महेश, अमर दानी,अभ्यंकर।
हे जगत पिता ,औघड़दानी,अतिभयंकर।
 हे महाकाल  , त्रिपुरारी   ,  वृषशेश्वर। 
 हे महाज्ञान  , महा माया ,  शिव शंकर ।


        तुम माह देव  महेश्वर ,
        तुम देते मनचाहा वर ।


   हे महाकाल , हे  त्रिपुरारी ,
    मैं आया ,  शरण तुम्हारी ।
    हे माया शंकर , महाज्ञानी,
    माया तेरी ,न जाए बखानी ।


  जो सहज भाव, तुम्हे बुलाते ,
  हे दया शंकर ,औघड़ दानी,  ।
   खुशियाँ ,   उनके जीवन मे  ,
   एक पल में,  आन समातीं ।
 
   सुनो विनय  , हे जटा धारी ,
   रखियो तुम  , लाज़ हमारी ।
   प्रभु ,आया मैं , द्वार तुम्हारे,
   भक्ति भाव, हृदय भर भारी।


   हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
   हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
   तेरे   चरणों   का   मैं  अनुचारी ।
    तेरे   चरणों    का मैं  अनुचारी ।
 
    ..... विवेक दुबे "निश्चल"


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