ॐ हृदय राखिए , ॐ करे शुभ काज ।
ॐ श्रीगणेश हैं , ॐ शिव सरकार ।
जो थे कल में, जो होंगे कल में।
जो हैं पल में , जो प्रतिपल में ।
जो थे तब भी , जो न था कुछ भी ।
जो हैं तब भी, जो है सब कुछ भी ।
सूक्ष्म शिव , अति विशाल शिव हैं ।
काल शिव, महाकाल शिव हैं।
प्रतिपाल शिव , प्रलयंकार शिव हैं ।
आकर शिव , निराकार ही शिव हैं ।
वो हर हलचल में ,सृष्टि के कण कण में।
वो सदा शिव हैं, सत्य सनातन शिव हैं ।
हे रुद्रनाथ , नागनाथ , मंगलेश्वर।
हे उमापति , कैलाशपति , गौरीशंकर।
हे शिवाकांत , महादानी , रामेश्वर ।
हे दीनानाथ , जटाधारी , जोगीश्वर।
हे मणि महेश, अमर दानी,अभ्यंकर।
हे जगत पिता ,औघड़दानी,अतिभयंकर।
हे महाकाल , त्रिपुरारी , वृषशेश्वर।
हे महाज्ञान , महा माया , शिव शंकर ।
तुम माह देव महेश्वर ,
तुम देते मनचाहा वर ।
हे महाकाल , हे त्रिपुरारी ,
मैं आया , शरण तुम्हारी ।
हे माया शंकर , महाज्ञानी,
माया तेरी ,न जाए बखानी ।
जो सहज भाव, तुम्हे बुलाते ,
हे दया शंकर ,औघड़ दानी, ।
खुशियाँ , उनके जीवन मे ,
एक पल में, आन समातीं ।
सुनो विनय , हे जटा धारी ,
रखियो तुम , लाज़ हमारी ।
प्रभु ,आया मैं , द्वार तुम्हारे,
भक्ति भाव, हृदय भर भारी।
हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
हर हर शिव शंकर , हे त्रिपुरारी ।
तेरे चरणों का मैं अनुचारी ।
तेरे चरणों का मैं अनुचारी ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"
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