*"मैं तुम्हारे पास हूँ।"*(हरिगीतिका छंद)
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मापनी - 2212 2212 2212 2212
विधान - 16 और 12 मात्राओं पर यति के साथ 28 मात्रा प्रति चरण।
5वीं, 12वीं, 19वीं और 26वीं मात्रा लघु होना अनिवार्य है।
चार चरण, युगल चरण तुकांतता।(संभव हो तो चारों चरण तुकांतता।)
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¶आये कभी जो कष्ट साथी, मैं तुम्हारे पास हूँ।
खोना नहीं आशा कभी भी, मैं तुम्हारी आस हूँ।।
बाधा न आये पास कोई, आन का विश्वास हूँ।
आनंद का आगाज हूँ मैं, भान मैं उल्लास हूँ।।
¶सुर-सार साजों सा सुहाना, हास मैं परिहास हूँ।
निज प्यार में जो प्राण वारे, प्रण वही मैं खास हूँ।।
मोती जड़े आशा-गगन में, चाँदनी का वास हूँ।
मैं घोर तम का अंत कर दूँ, ज्योति का आभास हूँ।।
¶गाता रहूँ मैं गीत न्यारे, रंग-रंगा रास हूँ।
साथी रहो तुम साथ मेरे, प्रेम का आवास हूँ।।
झंकार दो वीणा हिया की, तान का अहसास हूँ।
हो तुम सदा से शान मेरी, मान मैं मधुमास हूँ।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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