🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
विषय🥀 रोटी🥀
विधा कुण्डलिया छंद
रोटी रोजी के बिना,नहीं रहे इंसान।
रहकर भूखे उदर में,जीवन नहि आसान।।
जीवन नहि आसान,नये पथ बढ़ने आगे।
भरे नहीं जब पेट,करे क्या उठकर जागे।।
कहे सूर्य यशवंत,तोड़ दो ऊंची चोटी।
मिल जाए परिवार,खुशी दो पाकर रोटी।।
🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
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