🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
🥀यश के दोहे🥀
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रहा नहीं यश मोल कुछ,कौढ़ी हुईं जुबान।
करना वाणी पर नहीं, कहाँ सबूत सुजान।।
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होते सज्जन सब नहीं, अपने सम इंसान।
पल पर पल में पलट यश,भूल चले ईमान।।
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🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
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