🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
आज की विषय पर मेरी रचना
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तुम एक क्या आवाज दो?
हम दस आएंगे।
हो जाएंगे वतन पर निछावर,
शहीद कहला जाएंगे।।
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इस जवानी के लहूँ को,
आनायास मत समझो।
जिस दिवस ये उबल उठे,
टूटे हुए शीशे जोड़ जाएंगे।।
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हम जाए या हमारे खून जाए,
नहीं है परवाह जान की।
दे देंगे प्राण हम,
झुकने न देंगे,तिरंगे शान की।।
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हम मरेंगे सौ आएंगे,
तेरे आतंक से न घबराएंगे।
जहर को अमृत सम पीकर यश
सहस्रौ उग्रवादियों में
वंदे मातरम कह जाएंगे।।
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🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
भिलाई दुर्ग छग
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