कुण्डलिनी
1
माथा धुन रोता कृषक,कौन सुने फरियाद
बारिश ओला वृष्टि से, फसल हुई बरबाद
फसल हुई बरबाद, सुनाये किसको गाथा
सभी भाग्य पर छोड़ ,पकड़कर बैठा माथा
2
मानव तो हर ओर से,लिया आपदा घेर
बारिश तो रुकती नहीं, ओलों के भी ढेर
ओलों के भी ढेर,बना कोरोना दानव
सुन लो प्रभू पुकार,कहाँ अब जाये मानव
3
ईश्वर पर विश्वास तो,रखना होगा यार
सब कुछ उसके हाथ में ,पालेगा परिवार
पालेगा परिवार, सुनेगा फिर जगदीश्वर
बिनती करते लोग,आपदा हरना ईश्वर
विष्णु असावा
बिल्सी ( बदायूँ )
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