भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.

*"मान देश का है- हिंदी"*
(कुकुभ छंद गीत)
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विधान- १६ + १४ = ३० मात्रा पतिपद, पदांत SS, युगल पद तुकांतता।
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◆राष्ट्र-भाल पर अंकित सुंदर, श्यान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।
इससे है उत्थान हमारा, दान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।


◆गूढ़ भरे हैं भाव गहनतम, अपनी प्यारी भाषा है।
पूर्ण व्याकरण भी है इसका, इससे हमको आशा है।।
देवनागरी लिपि है इसकी, ज्ञान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी ।।


◆जोड़े बहु भू-भागों को यह, जग की भाषा है न्यारी।
स्निग्ध-सरस-शुचि-स्नेहिल-सलिला, सिंचित करती मन-क्यारी।।
प्रगति-पंथ पर सदा अग्रसर, मान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।


◆साहित्य जगत विस्तारित है, भंडार-विपुल इसका है।
भाषाओं के नभ पर मानो, आदित्य-प्रबल चमका है।।
धवल-विमल यह संचारित है, भान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।


◆भाषाओं से द्वेष नहीं है, आदर सबका करते हैं।
क्षुद्र मानसिकता का द्योतक, भाषा पर जो लड़ते हैं।।
सात सुरों में सुंदरतम यह, ध्यान देश का है-हिंदी।
आह्वान मुनुजता है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।


◆हिद निवासी हिंदी बोलो, शाश्वत उन्नति इससे है।
गंगाजल सा पावन है यह, वाहित सस्कृति इससे है।।
समरसता का अलख जगाये, बान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।


◆संप्रभुता का, अखंडता का, सुनीति है भाषा-हिंदी।
भाषा-काया प्राणतुल्य यह, प्रतीति है भाषा-हिंदी।
देश-प्रेम से पूरित "नायक", गान देश का है-हिंदी।
आह्वान मनुजता का है यह, व्यान देश का है-हिंदी।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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