बसंत की पावन पर्व होली की आप सभी को बहुत बहुत बधाई। उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
होरी
खेलत फाग उमंग लिए मन
झूमत तन ठहरी - ठहरी
गाल गुलाबी रंग दिए तब
डोलत सब गौंआ नगरी।
ब्रज की नगरी धूम मचो है
मन मोहन खेलै होरी
राधा भागी दौडी - दौड़ी
श्यामा करै बलजोरी।
मन का बैरी, द्वेष मिटो सब
मिलतो सब भाई - भाई
झूमत नाचत गावत सब मिल
खुशियाँ देतो है लाई।
नव वसन तन डारी लियो सब
ले गुलाल की सब झोरी
घर - घर में जातो मिलने को
बचो कहाँ कोई कोरी।
जात - पात कौ सीमा मिटतौ
रहतो है भाईचारो
प्रेम सदा दिखतौ है मन में
लगतो आँखों को तारो।
पुआ - पूरी खूब खातो सब
घर - घर में सब जाके
रंग, भंग की चढ़ जातो तब
होरी की गीत सुनाके।
स्वरचित - बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - बिन्दु
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