*मधु के मधुमय मुक्तक*
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परमानन्द
भ्रम को त्यागो जानकर, भ्रम देता अज्ञान।
कर्म क्षेत्र में आ करो, सत्य ज्ञान का मान।
यह जानो भ्रम से सदा, बिगड़ेगा हर काज,
सत्य परम आनन्द है, मानव लो यह जान।
मन आए आनन्द तब, सफल सुखद हो काज।
घर बाहर सारे करें,सफल मनुज पर नाज।
सत्य राह पर चल बने, स्वयं सहज पहचान,
परमानन्द मिले तभी, करे ह्रदय पर राज।।
मूल रूप से सत्य से,सार्थक बने भूगोल।
मिथ्या सारा भ्रम बने, जीवन पथ बेमोल।
भ्रम त्यागो सत पथ चलो, मंजिल होगी पास,
मिले परम आनन्द मधु,सत्य सदा ही बोल।।
*©मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*🌹🌹सुप्रभातम्*🌹🌹
*06.03.2020*
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