मुझे ज़िंदगी अब नयी चाहिए ।
मुझे आज हर इक खुशी चाहिए।
सभी से मिलाया मैंने हाथ है,
सभी से हमें दोस्ती चाहिए ।।
सभी से मिला करता हूँ प्यार से,
किसी की नहीं दुश्मनी चाहिए।
हुए यार का खूब दीदार बस,
हरिक खिड़की थोड़ी खुली चाहिए।
कमा लूँ अगर मैं जरा सा यहाँ,
हमें एक ही नौकरी चाहिए।
न हो दर्द ज्यादा दुआ हो यही,
जरा प्यार की ज़िन्दगी चाहिए।
** आलोक मित्तल **
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें