आशु कवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल ओमनगर सुलतानपुर यूपी,

होली के हुड़दंग हास रस के संग


बुरा ना मानो होली है 



केवल पांच सवैया छंद


    आंनद लें



गाम न गोरी सजी नवयौवन जाए अंटी निज।की अमराई ।।


नीरखत बाग ऊ बेला चमेली औ गेंदन साथ हु टेसू दिखाई।।


भा ख त चंचल।नजर झुकाय वही इक या र मिला देख लाई ।।


सोचत गोरी भ ई मद थोरी औ मस्त मलंग जू प्रेमी डि ठ आ ई।।1।।


अंग्रेजन आयो हिन्द महें बोका दुकान जलेबी दिखाई।।
मांगी जो हाथ मा लेत प्लेट ऊ सोचत क उ नी विधा  रच जाई ।।


जोड़ आऊ मोड़ दे खा त नहीं केही भांति इसे हलवाई बनाई।।


भा ख त चंचल मा न त ऊ जानो सत य हु हा थ विमान उ ठ आ ई।।2 ।।।


दू जी दुकान अंटयो दूसरे दिन वसुधा न जेस इक मिठाई दिखाईं।।
पूछत ऊ हलवाई ब ताओ य हि कै नाम हमें तू तुरन्त ब ताई।।
नाम को जान त सोचत ऊ ना कहीं रोज ना जामुन दे खाई।।


मा न त ऊ अरु भा ख त चंचल वानर रीछ औ राम दुहाई ।।3 ।।


राहुल अंटे जब यूपी म्हें व ई जा य मिले डिंपल भाऊ जाई।।
ना हौ चाहत  हूं गठबन्धन ना मोहि चाह विजय कर भाई।।
हाले दिला हौ बयान करूं अरु याचत एक मनोरथ आ ई।।


कुआरा रहा ना क बो प्यार किया बस खो झ हु सुंदर ना यि का जाई।।4।।


मागत जौ न रहा इस तीफा वही आजू घिरा घनघोर घटा ई।।


हरिचन्द्र रहा जौ न काल टलूक आजू मिश्रा कपिल इल्जाम लगाई ।।


भा ख त चंचल आजू ई संजय कुर्सी की मोह बढ़ी अस भाई।।


मिश्रा कै कुर्सी ग ई यही क़ार न माग् त हु कह घोर बु राई।।5 ।।


आशु कवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
ओमनगर सुलतानपुर यूपी,
8853521398 ।।


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