होली के हुड़दंग हास रस के संग
बुरा ना मानो होली है
केवल पांच सवैया छंद
आंनद लें
गाम न गोरी सजी नवयौवन जाए अंटी निज।की अमराई ।।
नीरखत बाग ऊ बेला चमेली औ गेंदन साथ हु टेसू दिखाई।।
भा ख त चंचल।नजर झुकाय वही इक या र मिला देख लाई ।।
सोचत गोरी भ ई मद थोरी औ मस्त मलंग जू प्रेमी डि ठ आ ई।।1।।
अंग्रेजन आयो हिन्द महें बोका दुकान जलेबी दिखाई।।
मांगी जो हाथ मा लेत प्लेट ऊ सोचत क उ नी विधा रच जाई ।।
जोड़ आऊ मोड़ दे खा त नहीं केही भांति इसे हलवाई बनाई।।
भा ख त चंचल मा न त ऊ जानो सत य हु हा थ विमान उ ठ आ ई।।2 ।।।
दू जी दुकान अंटयो दूसरे दिन वसुधा न जेस इक मिठाई दिखाईं।।
पूछत ऊ हलवाई ब ताओ य हि कै नाम हमें तू तुरन्त ब ताई।।
नाम को जान त सोचत ऊ ना कहीं रोज ना जामुन दे खाई।।
मा न त ऊ अरु भा ख त चंचल वानर रीछ औ राम दुहाई ।।3 ।।
राहुल अंटे जब यूपी म्हें व ई जा य मिले डिंपल भाऊ जाई।।
ना हौ चाहत हूं गठबन्धन ना मोहि चाह विजय कर भाई।।
हाले दिला हौ बयान करूं अरु याचत एक मनोरथ आ ई।।
कुआरा रहा ना क बो प्यार किया बस खो झ हु सुंदर ना यि का जाई।।4।।
मागत जौ न रहा इस तीफा वही आजू घिरा घनघोर घटा ई।।
हरिचन्द्र रहा जौ न काल टलूक आजू मिश्रा कपिल इल्जाम लगाई ।।
भा ख त चंचल आजू ई संजय कुर्सी की मोह बढ़ी अस भाई।।
मिश्रा कै कुर्सी ग ई यही क़ार न माग् त हु कह घोर बु राई।।5 ।।
आशु कवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
ओमनगर सुलतानपुर यूपी,
8853521398 ।।
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