अभिलाषा देेेशपांडे मुंबई

विषय-पिता
शिर्षक- फर्ज
पापा हर फर्ज निभाते हैं, 
जीवनभर कर्ज चुकाते हैं!
बच्चे के एक खुशी के लिये
अपने सुख भूल जाते हैं!
फिर क्यों ऐसे पापा के लिये
बच्चे कुछ करही नहीं पाते!
ऐसे सच्चे पापा को  क्यों,
पापा कहने भी सकुचते!
पापा का आशिष बनाता हैं,
बच्चे का जीवन सुखदाई,
पर बच्चे भूल ही जाते हैं, 
यह कैसी आँधी हैं आई!
जिससे सब कुछ पाया हैं,
जिसने सबकुछ सिखलाया हैं!
कोटि नमन ऐसे पापा को ,
जो हरपल साथ निभाया हैं!
प्यारे पापा के प्यार भरे, 
सीनेसे जो लग जाते हैं!
सच कहती हूँ विश्वास करो, 
जीवन में सदा सुख पाते हैं!
स्वरचित
अभिलाषा देेेशपांडे मुंबई


 


 


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