आज अकेले लड़ना मुश्किल,
सबको यह समझना होगा।।
आपदाओं से बचना हो तो,
मिल कर कदम बढ़ाना होगा।।
डरो नहीं डरवाना मत बस ।
एक राह अभिव्यक्ति की है।
आज जरूरत हर शरीर में।
बढ़ी आत्मशक्ति की है।।
सुभग स्वक्षता कण कण की हो।
सबको यह बतलाना होगा।।
आपदाओं से बचना हो तो।
मिल कर क़दम बढाना होगा।।
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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