अंजना कण्डवाल 'नैना'

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       *"नव दुर्गा"*


नव दुर्गा भवानी, हे! शिवानी,
अपने भक्तों का कष्ट हरो माँ।
हाथ जोड़ के तेरे द्वार खड़े हैं,
ममता से अपनी झोली भरो माँ।


दैत्य दलों ने कैसा छल ये किया है,
रक्त बीज ने फिर अवतार लिया है,
हे दुःख हारणी, रक्तबीज नाशनी,
रक्त बीज का तुम नाश करो माँ।


दुश्मन ने कैसा ये प्रपंच रचा है,
दशों दिशाओं में हाहाकार मचा है।
हे! माता चण्डिका,पाप नाशनी,
तुम आ कर धरा से पाप हरो माँ।


कैसा ये दृश्य है कि समय थम गया 
दौड़ता हुआ नसों में रक्त जम गया
हे कष्ट हाराणी, सन्ताप तारणी,
अपने भक्तों का सन्ताप हरो माँ।


मिट्टी है विषैली, पानी है मैला
हवाओं में कैसा ये गरल है फैला,
हे सुख दायनी, संकट निवारणी
मानव जगत का कल्याण करो माँ।
©®


अंजना कण्डवाल 'नैना'


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