#कोरोना #छन्द #कविता #कवि_रजत
काल विकराल रूप ले खड़ा है आज द्वार,
जिन्दगी को आप कश्मकश में न डालिये।
मानवीय इतिहास में है त्रासदी का दौर,
भीषण विभीषिका को हँस के न टालिये।
सावधानी ही है उपचार एक मात्र बन्धु,
संक्रमण का विषाणु तन में न पालिये।
सरकार के सुझाव की हो अनदेखी नहीं,
साथ मिल आपदा से देश को निकालिये।।
©अवधेश रजत
वाराणसी
सम्पर्क # 8887694854
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