अवनीश त्रिवेदी"अभय"

एक छंद आपकी सेवा में...


उर की अपार  गहराई में  समायी  हैं  तू,
मेरी हर साँस की रवानी  बन  जाती  है।
दिल मे धड़कता हैं केवल  तुम्हारा  नाम,
रस भारी नेह की  कहानी  बन जाती हैं।
उपवन का खिला गुलाब  लगती हैं आप,
मन  लेने  देने  में  सयानी  बन जा ती हैं।
सुख-दुख,  वैर-प्रीत, हार-जीत  सहे साथ,
मन के विश्वास की  निशानी बन जाती हैं।


अवनीश त्रिवेदी"अभय"


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