इक मतला दो शेर
कई किरदार थे तेरे मग़र कुछ कह नही पाए।
बिना तेरे कभी तन्हां फ़क़त हम रह नही पाए।
बहुत मजबूरियाँ थी जब रहें तुमसे जुदा हमदम।
हुए हम दूर तुमसे पर जुदाई सह नही पाए।
हमेशा रास्ते खुद ही बनाए मंजिलों तक के।
सभी के साथ हम ऐसे कभी भी बह नही पाए।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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