कुण्डलिया
क़ुदरत के इस कहर से, सब जन रहो सचेत।
जीवन ये अनमोल हैं, नही बनाओ रेत।
नही बनाओ रेत, रहो सब घर के अंदर।
देश रहे खुशहाल, बने ये उपवन सुंदर।
कहत 'अभय' समुझाय, सुधारो खुद की फ़ितरत।
तन मन रखिये साफ़, कष्ट नहि देगी क़ुदरत।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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