*"होली आयी है"*(ताटंक छंद गीत)
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विधान- १६ + १४ = ३० मात्रा प्रतिपद, पदांत $$$, युगल पद तुकांतता।
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*संजोकर है साथ रंग को,
अब की होली आयी है।
मादक वासंती खुशियों की,
झोली भर भर लायी है।।
*धरती झूमे,अंबर झूमे,
झूम उठी हर डाली है।
अमुआ लहके,महुआ महके,
शोभित किंशुक लाली है।।
द्विजगण गाते गीत फागुनी,
सृष्टि सकल हर्षायी है।
मादक वासंती.........।।
*जीवन की धुन अनुरागित हो,
निजपन भरी ठिठोली हो।
कटुतापन छल-छद्म नहीं हो,
प्रेम भरी हर बोली हो।।
मन मृदंग की धुन में थिरके,
प्रीति-रीति हरियायी है।
मादक वासंती...........।।
*तन मन सब का भीग गया है,
भीगत कुर्ता-चोली है।
महक उठी है मन-बस्ती में,
जीवन की रंगोली है।।
राग-द्वेष तज हृदय मिला लो,
'नायक' होली आयी है।
मादक वासंती...........।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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