काव्य रंगोली काव्योत्सव २०७७
प्रतियोगिता हेतु रचना...
आ. दादा अनिल गर्ग जी🙏
विधा.. छंद गीत १६ मात्रिक
रचना कार.... बाबू लाल शर्मा बौहरा
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा *विज्ञ*
. *जीत हुई पर रामानुज की*
. १६ मात्रिक छंद गीत
. 🤷🏻♀🦅🤷🏻♀
काल चाल कितनी भी खेले,
आखिर होगी जीत मनुज की
इतिहास लिखित पन्ने पलटो,
हार हुई है सदा दनुज की।।
विश्व पटल पर काल चक्र ने,
वक्र तेग जब भी दिखलाया।
प्रति उत्तर में तब तब मानव,
और निखर नव उर्जा लाया।
बहुत डराये सदा यामिनी,
हुई रोशनी अरुणानुज की।
काल चाल कितनी भी खेले,
आखिर,......................।।
त्रेता में तम बहुत बढा जब,
राक्षस माया बहु विस्तारी।
मानव राम चले बन प्रहरी,
राक्षस हीन किये भू सारी।
मेघनाथ ने खूब छकाया,
जीत हुई पर रामानुज की।
काल........... .... ,...,...।।
द्वापर कंश बना अन्यायी,
अंत हुआ आखिर तो उसका।
कौरव वंश महा बलशाली,
परचम लहराता था जिसका।
यदु कुल की भव सिंह दहाड़े,
जीत हुई पर शेषानुज की।
काल....... ..... .... .........।।
महा सिकंदर यवन लुटेरे,
अफगानी गजनी अरबी तम।
मद मंगोल मुगल खिलजी के,
अंग्रेजों का जगती परचम।
खूब सहा इस पावन रज ने,
जीत हुई पर भारतभुज की।
काल................ ..........।।
नाग कालिया असुर शक्तियाँ,
प्लेग पोलियो टीबी चेचक।
मरी बुखार कर्क बीमारी,
नाथे हमने सारे अनथक।
कितना ही उत्पात मचाया,
जीत हुई पर मनुजानुज की।
काल............. ..... ........।।
आतंक सभी घुटने टेकें,
संघर्षों के हम अवतारी।
मात भारती की सेवा में,
मेटें विपदा भू की सारी।
खूब लड़े हैं खूब लडेंगें,
जीत रहेगी मानस भुज की।
काल........ ...... ...........।।
आज मची है विकट तबाही,
विश्व प्रताड़ित भी है सारा।
हे विषाणु अब शरण खोजले,
आने वाला समय हमारा।
कुछ खो कर मनुजत्व बचाये,
विजयी तासीर जरायुज की।
काल........ ...................।।
. 👀👀👀
✍©
बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
बौहरा - भवन ३०३३२६
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान, ३०३३२६
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