बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु) बाढ़ - पटना

प्रेम ही सत्य है


पता करो तुम कौन हो
अपने  आप   से  पूछो ?
तुमनें यहाँ क्या सीखा
तेरा   वजूद   कहाँ  है ?


क्या लिए और क्या दिए
मूल  तत्व  यहाँ  क्या  है ? 
माया   ममता   लोभ  में
कहीं  खो  तो  नहीं  गये।


संस्कृति क्या कहती है
सभ्यता से  क्या सीखे ?
कर्म, कर्तव्य  या  धर्म
कहाँ तलक सार्थक है ?


अपने  पर विश्वास है
तो हौसला बुलंद कर।
एक पहचान बना दो
जिंदगी  इम्तिहान है।


बदन   नश्वर  होता  है
परमेश्वर  अजर अमर।
असंख्य रूपों का घर
जिसमें जान बसते हैं।


जान  ही परमात्मा है
आत्मा  है  तो  हम हैं। 
ये  परम तत्व सत्य है
सत्य  ही  यहाँ प्रेम है।


जिंदगी  संँवार  लो अब
जीवन को तार लो अब।
मेहनत  तो  बहुत किए
राम को पुकार लो अब।


जब काबिलियत साथ हो
हाथों   में   जब  हाथ  हो। 
तो   कौन   रोके   तुझको
जब   इतनी   सौगात  हो।


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु)
बाढ़ - पटना
9661065930
bps_bindu @yahoo.com


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...