जिस कोरोना के डर से (गीत विधा)
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जिस कोरोना के डर से, घबराई दुनिया सारी है।
हार गया वो जिसके आगे, वो एसएमएस भंडारी है।
डी एस मीणा, एस बनर्जी, प्रकाश केसवानी।
अभिषेक, रमन शर्मा से, सुनो सफल कहानी।
मानव की वो जान बचाए, घातक महामारी है।
जहाँ बन्द है देवालय और देवों के मठाधीश।
झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र, ढोंगी के सब आशीष।
जान हथेली पर लेकर खुद, करते रक्षा हमारी है।
ना हाथों में हाथ देना, ना ही गले से लगाना।
स्वच्छता का है रखना ध्यान, सबको है जगाना।
मुँह को ढ़क कर आगे बढ़ना, कैसे फैले बीमारी है।
हौसला रखना खुद और दूसरों को देना।
दूरियां बनाकर रखना, जीवाणु मत लेना।
सावधानी से ही अब तक हम सब से ये हारी हैं।
जुकाम खाँसी और बुखार सिर दर्द में हो कोई।
कोरोना के लक्षण है ये, देख के दुनिया रोई।
तुरंत चिकित्सालय जाओ तब,कैसी सोच विचारी है।
धन्य-धन्य है डॉक्टर सारे, धन्य है उनकी माई।
ईश्वर को ना देखा "मन" ने, तुमने जान बचाई।
शत-शत वंदन और अभिनंदन करती दुनिया सारी है।
बुद्धि प्रकाश महावर "मन"
दौसा (राजस्थान)
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