डा इन्दु झुनझुनवाला जैन

Women's day special,,  


हाँ  मै औरत हूँ ।


उस-सा अहंकार नही मुझमें,
आत्मसम्मान मन में बसाया है।
हाँ  मै औरत हूँ  ।


व्यवसायिक बुद्धि नहीं मुझमें ,
पर दिल मैंने भरपूर पाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


दौलत नही कमाई  बहुत मैंने ,
पर इज्जत मेरा सरमाया है ।
हाँ  मै औरत हूँ ।


हर गल्ती को मुस्कुराके सहा ,
किसी को कभी ना जतलाया है ,
हाँ  मै औरत हूँ  ।


भूख प्यास की परवाह ना की मैने  ,
बडे प्यार से सबको खिलाया  है ।
हाँ मै औरत हूँ 


मेरा परिवार पराया रहा जिसके लिए ,
उसके परिवार को अपनाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।


मुझे चहार दीवारी दे दी जिसने ,
उसको मैंने ही घर बनाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


हर सुख दुख में साथ दिया मैंने ,
पर  कुछ ना कभी जताया है ,
हाँ मै औरत हूँ ।


मेरे गम को ना पहचाना फिरभी ,
मैने भी हँस के उसे छिपाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


प्यार भरे लफ्ज़ को तरसा है मन ,
हर पल प्यार ही बरसाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


 भले ही मेरी कद्र करो ना करो ,
मेरा खुद पे खुद का सरमाया है ।
हाँ मै औरत हूँ ।


संवेदनशील हूँ, पर धैर्य बहुत है ,
हर कदम पर उत्साह बढाया है ।
हाँ  मै औरत हूँ ।


अब पिंजड़े का बन्द पक्षी नही ,
उडने को पंख फडफडाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


सपनों  की उँची उड़ान भरती हूँ ,
कदम ना कभी डगमगाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


"इन्दु" खिलता है आसमां पे अब ,
दो जहाँ देखो  जगमगाया है।
हाँ मै औरत हूँ ।


डा इन्दु झुनझुनवाला जैन


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