डा.नीलम अजमेर

*मैं नारी हूँ*


मैं शिवी,मैं रति,मैं दूर्गा
महाकाली हूँ
मैं वाणी-वाग्देवी,सृष्टा की
सहगामिनी हूँ


महामाया मैं,मैं सावित्री
मैं कल्याणी हूँ
मैं अन्नपूर्णा,मैं कात्यायनी
मैं भवानी हूँ


हाँ मैं नारी हूँ
असूरों की संहारिणी
देवाधिदेवों की जननी,
रक्षादायिनी हूँ मैं


मैं नीर,मैं अगन,मैं
मदमाती पवन हूँ
मैं धरित्री,मैं ही अनंत
शुन्याकाश हूँ


मैं श्रद्धा,मैं कामना,मैं ही
पीयूष हूँ
रचनाकार की अनुपम कृति मैं,मैं जग जननी हूँ


हाँ नारी हूँ मैं
पंचभूत तत्व-निरुपा
प्रकृति की अनुपम
उपमा हूँ मैं


मैं प्रीत की प्रतिरुपिणी
करुणा की प्रतिच्छाया मैं
हर्ष निनादिनी भी मैं हूँ
मैं ही कण-कण व्यापिनी हूँ


दिवस की उजियारी सविता
तारकभरी रजनी हूँ मैं
कलकल नाद करती सरिता
मादक मदभरी मदिरा हूँ


हाँ नारी हूँ मैं
सार तत्व रसधारिणी
मदमस्त ,मनमोहक
महक हूँ मैं


मनु की श्रद्धा मैं  हूँ 
मैं ही मनु-मानस इड़ा
सम्मोहिता स्वर्णमृग की सीता मैं,मैं ही सतीत्व की प्रतिका हूँ


मैं सृष्टि संचलिका
मैं सहगामिनी हूँ
मैं लास्या नर्तकी
मैं ही संहारिका हूँ


हाँ मैं नारी हूँ
जग से जीती
पर अपनों से
हारी हूँ मैं ।


      डा.नीलम


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